सरकार का बड़ा फैसला, संविदा कर्मियों को मिलेगा ₹18,000 का न्यूनतम वेतन Outsourcing Salary Hike

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Outsourcing Salary Hike: प्रदेश के लाखों संविदा और आउटसोर्सिंग कर्मचारियों के लिए बड़ी राहत की खबर सामने आई है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में राज्य सरकार ने न्यूनतम ₹18,000 वेतन सुनिश्चित करने का ऐतिहासिक निर्णय लिया है। इस फैसले के तहत “उत्तर प्रदेश आउटसोर्सिंग सेवा निगम” का गठन किया गया है, जो राज्यभर में कर्मचारियों की नियुक्ति, भुगतान और निगरानी का काम करेगा।

आउटसोर्सिंग सेवा निगम देगा सुरक्षा और पारदर्शिता

नई व्यवस्था के तहत अब कर्मचारियों की नियुक्ति और वेतन भुगतान किसी निजी एजेंसी के भरोसे नहीं रहेगा। सरकार ने साफ कहा है कि अब सभी वेतन निगम के माध्यम से सीधे कर्मचारियों के बैंक खातों में भेजे जाएंगे। इससे न केवल देरी रुकेगी, बल्कि वेतन में की जा रही मनमानी कटौतियों पर भी पूरी तरह से रोक लगेगी।

हर महीने की 5 तारीख को मिलेगा वेतन

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि संविदा और आउटसोर्सिंग कर्मचारियों को हर महीने की 5 तारीख तक वेतन मिलना चाहिए। इसके लिए निगम को कंपनी एक्ट के तहत पंजीकृत किया जाएगा, और इसका संचालन निदेशक मंडल और एक महानिदेशक की निगरानी में होगा। जिला और मंडल स्तर पर समितियां निगरानी रखेंगी कि कहीं किसी कर्मचारी का हक न मारा जाए।

एजेंसी सिस्टम में बदलाव, अब न्यूनतम तीन साल का कॉन्ट्रैक्ट

सरकार अब एजेंसियों की मनमानी पर रोक लगाने जा रही है। नई व्यवस्था में किसी भी चयनित आउटसोर्स एजेंसी से न्यूनतम तीन साल का कॉन्ट्रैक्ट किया जाएगा। इसका पूरा डेटा एक पारदर्शी पोर्टल पर मौजूद रहेगा। कर्मचारियों को बिना उचित कारण के हटाया नहीं जा सकेगा, जिससे उनके रोजगार की स्थिरता सुनिश्चित होगी।

आरक्षण नियमों का सख्ती से पालन

राज्य सरकार ने यह भी सुनिश्चित किया है कि निगम के तहत होने वाली सभी नियुक्तियों में आरक्षण नीति का पूर्णत: पालन किया जाए। अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, ईडब्ल्यूएस, दिव्यांगजन, पूर्व सैनिक और महिलाओं को प्राथमिकता दी जाएगी। निराश्रित महिलाओं के लिए यह योजना और भी बड़ी राहत साबित हो सकती है।

₹18,000 से ₹25,000 तक मिलेगा वेतन, कर्मचारियों में खुशी

इस फैसले से राज्य के करीब 10 लाख आउटसोर्स कर्मचारी सीधे लाभान्वित होंगे। पहले इनका वेतन लगभग ₹10,000 या उससे भी कम था, जिसमें एजेंसियां मनमानी कटौती करती थीं। अब पद के अनुसार ₹18,000 से ₹25,000 तक वेतन तय किया गया है, जिससे कर्मचारियों का जीवनस्तर बेहतर होगा और वे सम्मान के साथ अपना कार्य कर सकेंगे।

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