8th Pay Commission Peon Salary Hike: देशभर के लाखों ग्रुप-D कर्मचारियों के लिए 8वें वेतन आयोग को लेकर उम्मीदें और भी बढ़ गई हैं। खासकर सरकारी दफ्तरों में काम करने वाले चपरासी, माली, गार्ड और सफाईकर्मी जैसे लेवल-1 कर्मचारियों को इस बार भारी राहत मिल सकती है। अब तक ₹18,000 की बेसिक सैलरी पाने वाले इन कर्मचारियों के लिए यह आयोग नई आर्थिक दिशा तय कर सकता है।
चपरासी की सैलरी में ₹33,000 तक का इज़ाफा संभव
सूत्रों की मानें तो सरकार नए वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर को बढ़ाकर 2.86 करने की तैयारी में है। इसका सीधा असर चपरासियों की सैलरी पर होगा। मौजूदा बेसिक ₹18,000 को अगर 2.86 से गुणा किया जाए, तो नई सैलरी ₹51,480 तक पहुंच सकती है। यानी इन कर्मचारियों की इन-हैंड सैलरी में 30–35 हजार रुपए तक का फर्क आ सकता है।
नई सैलरी कैसे होगी कैलकुलेट? आसान भाषा में समझिए
अगर मौजूदा बेसिक सैलरी ₹18,000 है और फिटमेंट फैक्टर 2.86 होता है, तो सीधी कैलकुलेशन कुछ यूं होगी:
₹18,000 × 2.86 = ₹51,480
इसके साथ जब डीए, एचआरए और अन्य भत्ते जोड़े जाएंगे, तो कुल सैलरी ₹55,000 से ₹70,000 तक पहुंच सकती है। इसका मतलब यह है कि जिन कर्मचारियों को पहले ₹24,000 से ₹26,000 इन-हैंड मिलती थी, उन्हें अब लगभग दोगुनी आय मिलने की संभावना है।
महंगाई के दौर में राहत की उम्मीद
आज के समय में जब रोजमर्रा की ज़िंदगी लगातार महंगी होती जा रही है, ऐसे में छोटे पदों पर काम करने वाले कर्मचारियों के लिए वेतन आयोग किसी राहत से कम नहीं है। चपरासी जैसे पदों पर मेहनत से काम करने वाले लोगों को अक्सर कम वेतन के चलते कठिनाई का सामना करना पड़ता है। अब अगर नया वेतन आयोग लागू होता है, तो इन कर्मचारियों की वित्तीय स्थिति में बड़ा सुधार देखा जा सकता है।
किन कर्मचारियों को होगा सबसे बड़ा लाभ?
8वें वेतन आयोग का सबसे सीधा लाभ उन कर्मचारियों को मिलेगा जो लेवल-1 और ग्रुप-D पदों पर कार्यरत हैं। इसमें चपरासी, माली, गार्ड और सफाईकर्मी जैसे कर्मचारी शामिल हैं। ये वे लोग हैं जो अक्सर सबसे कम सैलरी पर काम करते हैं, लेकिन उनके काम की ज़रूरत हर सरकारी दफ्तर में सबसे ज्यादा होती है।
सरकार की चुप्पी, लेकिन उम्मीद बरकरार
हालांकि अभी तक सरकार की ओर से 8वें वेतन आयोग को लेकर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन वित्त मंत्रालय के सूत्रों की मानें तो इसकी रूपरेखा तैयार की जा रही है। कर्मचारी यूनियनों का भी लगातार दबाव बना हुआ है कि इसे जल्दी से जल्दी लागू किया जाए।